Chaplusi, भाईबंद, bhaibandi, चापलूसी हिंदी - कविता
गुनाह गर वो करें, तो सब क्षमा -ए- भूल समझें। हुक्म को तोड गर आगे बढ़ें, तो उन्हें मजबूर समझें।। वे जो चाहें सो करें, और बेखौफ करते रहें। हमारी छोटी भूल भी, गुनाहों में गिनते रहें।। क्या गजब…
गुनाह गर वो करें, तो सब क्षमा -ए- भूल समझें। हुक्म को तोड गर आगे बढ़ें, तो उन्हें मजबूर समझें।। वे जो चाहें सो करें, और बेखौफ करते रहें। हमारी छोटी भूल भी, गुनाहों में गिनते रहें।। क्या गजब…
नवयुवक जीवन की एक अवस्था है, न जवान, नहीं वह बच्चा है। न घर में जोर किसी का है, उसकी मनमर्जी की इच्छा है।। कुछ बोध अधूरा सा रहता, ऊर्जा में ओतप्रोत रहता। फिर भी बल बुद्धि से कच्चा है, उसकी …
चापलूसी आज सांप बेरोजगार हो गए , क्यूंकि आदमी काटने लगे। ये देख कुत्ते भी अचंभित है , कि तलवे आदमी चाटने लगे।। तुच्छ स्वार्थ वास्ते कितना गिर गया इंसान, घर की इज्ज़त को बॉस के सामने बिछाने …
तानाशाही जवानी के शहंशाह, बुढ़ापे में लाचार देखे, बड़े बड़े तीरंदाज भी, हमने तारतार देखे। गर्व था जिन्हे अपनी हुस्न ए जवानी पर, ऐसे लोगों के भी हाल, बेहाल देखे ।। दौलत थी बेशुमार, खरीद सकते…