नवयुवक कविता/best poem on youngester/newgeneration hindi poem/kavita kunji



नवयुवक

जीवन की एक अवस्था है,
न जवान, नहीं वह बच्चा है।

न घर में जोर किसी का है,
उसकी मनमर्जी की इच्छा है।।

कुछ बोध अधूरा सा रहता,
ऊर्जा में ओतप्रोत रहता।

फिर भी बल बुद्धि से कच्चा है,
उसकी मनमर्जी की इच्छा है।।

जीवन की एक अवस्था है,
न जवान, नहीं वह बच्चा है।

नई नई जवानी, नवयुवक,
हर रोज़ बदलता नए लुक।।

मोहब्बत का नशा भी कम नहीं है,
दुनिया से लडने की दम नहीं है।।

प्यार का शोला है दिल में,पर दिल तो तेरा कच्चा है,
उसकी मनमर्जी की इच्छा है।

जीवन की एक अवस्था है,
न जवान, नहीं वह बच्चा है।।

है जीवन की यह अजीब मोड़,
आगे बढ़ने की लगी होड।

है जज्जवा दिल में कुछ करने का,
मत बहक न बन, मोहरा छलने का।।

नवयुवक तू दिल का सच्चा है,
उसकी मनमर्जी की इच्छा है।।

जीवन की एक अवस्था है,
न जवान, नहीं वह बच्चा है।

न घर में जोर किसी का है,
उसकी मनमर्जी की इच्छा है।।

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