Yaadein - यादें
कभी सोचा है, याद क्या है?
और ये क्यों आती है।
कितने भी बहाने बनाकर टालो इसे,
मगर और ज्यादा सताती है।।
यकीनन याद भी अजीब सी प्रतिक्रिया है,
कोई तो बताए, इसे भुलाने का क्या जरिया है।
इसकी मीठी चुभन वैसे दिल को बहुत भाती है,
कभी सोचा है, याद क्या है? और ये क्यों आती है।।
शायद कोई भी न जीव याद से अछूता होगा,
गर होगा भी तो ए – खुदा वह कैसे जीता होगा।
ये याद ही तो जीने को मजबूर कराती है,
कभी सोचा है, याद क्या है? और ये क्यों आती है।
तेरी यादें – मुरादें न होती न पीता,
कमबख्त इस जिंदगी को आखिर कौन जीता।।
दूर होकर भी पास का अहसास कराती है,
कभी सोचा है, याद क्या है? और ये क्यों आती है।।
इसकी मीठी चुभन वैसे दिल को बहुत भाती है,
कभी सोचा है, याद क्या है? और ये क्यों आती है।।
Sundar
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