मुख्य अतिथि के सम्मान में.....
आपके कर्म ही, आपकी पहचान हैं।
वरना एक नाम के तो हजारों इंसान हैं।।
मुख्य अतिथि के विदाई सम्मान में.....
कि अपनो की तरक्की पर उदासी किया नहीं करते,
जो सांसों में बसे हों उन्हें दिल से जुदा किया नहीं करते।
यूं तो जिंदगी में हजारों आते और जाते हैं,
हर किसी को, ये दिल यूं दिया नहीं करते।
मुख्य अतिथि की तारीफ में......
दुश्मन के लिए तलवार महोदय, हमसब के लिए ढाल हैं।
धैर्यवान, सरल मन, नेतृत्व की मिशाल हैं।।
हर मस्जिद और मकबरा ताज नहीं होता।
साहब जैसा व्यक्तित्व, किसी के परिचय का, मोहताज नहीं होता।।
पार्टी के अंत में......
वक्त की हो धूप या हो तेज आंधियां।
कुछ कदमों के निशान कभी नहीं खोते।।
जिन्हे याद करके मुस्करा दें आंखें।
वो लोग दूर होकर भी दूर नहीं होते।।
आगाज बता देता है कि अंजाम क्या होगा।
सुबह का सूरज बता देता है कि आज शाम को क्या होगा।।
डांसिंग परफॉर्मेंस के लिए बुलाने से पहले.....
अचंभित होना लाजमी है ऐसा लगेगा उनके स्टेप के सीन से।
जैसे कोई निकल रहा हो जमीन से।
अपने नखरे भरे झटकों से, स्टेज हिलाने आ रहे हैं इंडियन डांसिंग टीम से।।
गायकी परफॉर्मेंस से पहले......
अपना अपना विवेक होता है।
नहीं काबिल हरेक होता है।।
यूं तो सैकड़ों हैं वॉशरूम में गुनगुनाने वाले।
मगर इस कलाकार जैसा गायक लाखों में एक होता है।।
किसी राजस्थानी को बुलाने से पहले.....
ये शरमाते हैं, चलने में इतराते हैं, कभी फूलते हैं बड़े गुमान से ।
ये कलाकार आते हैं राजस्थान से।।
तो हमने देना है उनका साथ।
वो करने आ रहे हैं हल्की सी बरसात।।
पार्टी के मध्य में........
कि कतरा कतरा वक्त गुजर जाएगा।
हर कोई एक दिन साथ छोड़ जाएगा।
पल दो पल का साथ गुजर लो,वक्त है अभी।
कल क्या भरोसा कौन कहां चला जायेगा।।
मोबाइल के ऊपर किसी परफॉर्मेंस से पहले......
ना पड़ोसी से गपशप, ना दोस्तों की दोस्ती निभानी रही।
न चूल्हे की रोटी, न मां की लोरी और न बच्चों में ही वो अब नादानी रही।
नानी के वो किस्से न कहानी रही
न बचपन न बुढ़ापा और न अब जवानी रही
वाह रे मोबाइल जिस घर में घुसा तू बस तेरी ही मनमानी रही।।
किसी गायक को बुलाने से पहले.......
सबको बना लेते हो अपना, आखिर क्या राज है।
हो न हो बना दे दीवाना, आपकी सुरीली आवाज है।।
पार्टी समाप्त करने से पहले........
कल फिर से निकलेगा चांद, और फिर वही टिमटिमाते तारे।
और भी कई दिलकश हो सकते हैं नजारे।
मगर सूना सूना सा होगा पलटन में बिन तुम्हारे।
फिर भी आप छाए रहोगे सदा दिल में हमारे।।
साहब के शांत स्वभाव ,सरल मन और संयमित अनुशासन से हम सब भली भांति परिचित हैं
अनायास ही ये शब्द निकलना लाजमी हैं कि
आप जैसा बड़प्पन नहीं है कहीं।
आप जैसा सरल मन नहीं है कहीं।
आपको आज हम विदा कर तो दें मगर, आप जैसा नेतृत्व नहीं है कहीं।।
अल्लाह रब राम ईशु का नाम लेते हैं।
आप सब से अब अलविदा लेते हैं।।
चाहत है सिर्फ इतनी, कि कम्पनी के हर फंक्शन में महोदय जरूर आएं।
इन्हीं शब्दों के साथ, वाणी को विराम देते हैं।