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आज कल 'टूटते रिश्तों की वजह' को बयां करती हुई यह हिंदी कविता - chatkte rishte
Chatkte Sambandh - tutate sapne
चटकते संबंध - टूटते रिश्ते
कुछ हैं चकनाचूर तो कुछ मजधार में लटके।
कोई तो तत्काल कोई साल महीने में चटके।।
कुछ वजह दिखती हैं साफ साफ सी।
कुछ क्लेश पारिवारिक तो कुछ हैं आपसी।।
बोल बोल के झूठ पत्नी के विश्वास को रौंदा।
मां भरती उल्टे कान तर्क नहीं करता भोंदा।।
मां के आंसू देख खौलता आंखों का पानी।
बिन सच्चाई जान करे अपनी मनमानी।।
करदी पीट के लाल रोए बैठी कोने में।
सपने चकनाचूर हुई सेवा गौने में।।
उड़ी धज्जियां सपनों की तू काहे सजाए बैठी।
श्री राम समझ इस रावण को क्यों दिल में बसाए बैठी।।
हर रोज शाम को दारु पीके करता उल्टी बात।
बात बात पर तानाशाही होते दो दो हाथ।।
गजब अयोध्या मिली लाडली लंका सा बर्ताव।
ससुर भी तीखी आंख दिखाए मूंछ पे देके ताव।।
मूंछ पे देके ताव कभी समधी को कोसा।
कार की देके जुवान दहेज़ मे दे गया धोखा।।
कैसी किस्मत हाय विधाता मेरी गढ़दी।
चुगलखोर ये ननद मेरे क्यों माथे मढ़दी।।
इत की बित करे बात रोज झगड़ा करवाए।
सास बड़ी समझदार सामने प्यार दिखाए।।
भावुकता में लीन चाह मां प्यार की रखती।
नौ महीने रखा पेट दूर आज कैसे करती।।
सुपकी सुपकी रहे बिचारी सब से डरती।
हो जाता जीवन नर्क बिटिया जब ऐसे फसती।।
सबसे ज्यादा रोल ऐसे में बाप का होता।
नहीं बनते ये हालात समय से परखा होता।।
धैर्यपूर्ण संबंध अगर पहले से करते।
बेहतर होता लड़के के दोस्तों से मिलते।
होता पर्दाफाश चरित्र बच्चे का।
खुल जाता सब राज उसके कच्छे का।।
अब ठोस उठाएं कदम मदद लें कानूनी।
बेटी के अत्याचार की सजा दिलाएं दूनी।।
ऐसा केस दबाने से बढ़ जाएगा दिनदूना।
निश्चित बेटी मर जायेगी आंगन होगा सूना।।