रास्ते तमाम हैं
उस मंजिल तक पहुंचना मुश्किल, जबकि रास्ते तमाम हैं।"
नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।
मगर कहां मुक्ति मिलेगी माया के जंजाल से।
प्रभु ही बचा सकते हैं, इसकी टेडी चाल से।।
भजन पाठ बाद में, पहले काम तमाम हैं।
"नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।
मन भी पांसा फेंकता है, रह रह कर भोग के।
ऐसे मौके पेश करता, बेवजह सयोंग के।।
जो न सोचा आपने, आज उसका भी इंतजाम है।
"नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।
कभी लालच में गिरता धड़ाम, सब साधना को भूलकर।
ऐसे लपेटती है बेहा, बेशर्म माया मजबूर कर।।
गर बचा सकता है कोई, तो सिर्फ वह हनुमान हैं।।
"नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।
चल उठ फिर संभाल खुद को, इतनी छूट दी भगवान ने।
धोखे पर धोखे दिए, इस मन बेईमान ने।।
मन के चक्कर में फंसा तू यूं ही खाम खाम हैं।
"नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।
उस मंजिल तक पहुंचना मुश्किल, जबकि रास्ते तमाम हैं।
"नाम, धाम, रूप, लीला" सिर्फ एक का ही काम हैं।।