56 इंच का सीना, 56 inch ka seena - kavita kunji


क्या रखा है गिरगिट की तरह जीने में।

जरा सामने आके देख क्या छुपा है इस 56 इंची सीने में।


मौहलत दी है तुम्हें सुधर जाने की।

भूल मत कर हमें अंजमाने की।।


सोला हूं पहले जलेगा फिर फटेगा भी।

वक्त है पश्चाताप कर वरना मिटेगा भी।।


मत कटाक्ष कर दर्द गहरा है।

अब भी पाबंदी और पहरा है।।


हर रात के बाद सबेरा है।

माफी के काबिल नहीं जो गुनाह तेरा है।।


अब ऐसा जख्म देंगें कि सात पीढ़ियों तक याद करेगा।

मत भूल में रहना प्यारे कि हर बार बाप माफ करेगा।।


मतलब परस्त आदमी मत अब रिश्ता बना।

जा आज फ़िर से माफ़ किया जाकर खुशियां मना।।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने