झूठी शान। Jhoothi Shaan। Best hindi poem 2023


झूठी शान


दुख सुख परिवर्तनीय, न रहता एक सदा है।

जितना मिला सब्र कर, होता वही जो मंजूर-ए-खुदा है।।


क्यों गठरी बांधकर कर, तू कर रहा मेरा मेरा।

जबकि जाना कुछ है नहीं, यह सत्य भी तुझे पता है।।


मौत को झुठला देना भी, तो एक बड़ा मजाक है।

भगवान को सिद्ध करो, यह कितना शर्मनाक है।।


आज खुदा का भी सौदा किया, धर्म के ठेकेदारों ने।

भगवान की भी बोली लगने लगी, सरेआम बाजारों में।।


लोग बिजनेस ठोंक रहे, भगवान के नाम पर।

क्या भरोसा करोगे, अब तुम इंसान पर।।


अभिमान की बू अब आ रही, इंसान में।

सत्य को दरकिनार कर, जी रहा झूठी शान में।।


बहुत बुरा अंत होगा, उन सभी बेईमानों का।

खुश होता झूठी शान सुन, इसमे क्या दोष है कानों का।।


वक्त के रहते संभल, बरना फिर कुछ हासिल न होगा देर में।

चिड़ियां चुन कर उड़ जायेंगी, कुछ खक न होगा खेत में।।


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