प्यार की निशानी
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।
अपने प्यार की निशानी नीलाम न होने देंगे।।
मानते हैं दर बदर तुम ढूंढते हो अब हमें।
पर अपने दर पर बेवफा हम तुझे न झांकने देंगे।।
अपने प्यार की निशानी नीलाम न होने देंगे।
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।।
तू दिल बेचती है लालची बोली लगाकर।
बहुत पैसा कमाया जिस्म अपना बिछाकर।।
अब बफाओं की बस्ती में हम तुझे न बसने देंगे।
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।।
पैसे के दम पर घर बसा रहीशों की बस्तियों में।
और मंहगा! दिल बिकेगा तेरा,ऊंची हस्तियों में।।
वहां बच्चे भी तेरे पढलिख कर उद्योगपति बनेंगे।
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।।
पल में क्या से क्या हो जायेगी औकात तेरी।
विदेशों में पढ़ने जायेगी औलाद तेरी।।
फिर भी लोग बाजार में तुझे खुलेआम न चलने देंगे।
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।।
किसी के दिल को घर समझ कर अपना प्यार वसादे।
बच्चों को भी बाप बास्ते किसी एक का नाम बतादे।।
बरना बच्चे तुझको भी मां कहने से इंकार करेंगे।
हम प्यार को बेरहम ऐसे न घुटने देंगे।।
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रिश्ते में लालच/ rishte
असल जिंदगी से आज भटक से गए।
कुछ घनिष्ट रिश्ते आज चटक से गए।।
कुछ की वजह लालच तो कुछ अंधविश्वास था।
कहीं कहीं मतलब तो कहीं अत्याचार था।।
कहीं अधूरी उम्मीदें तो किसी की वजह इंतजार था।
कहीं वायदे निभा न पाना या फिर साफ इंकार था।।
न जाने क्यों सब बेवजह बदलते गए।
कुछ घनिष्ट रिश्ते आज चटक से गए।।
आज बदल सी गई हर रिश्ते की मर्यादा।
मतलब ने घसपैठ की हर रिश्ते में ज्यादा।।
आज हर आदमी को तलाश है ऐसे की।
रिश्ता गया भाड़ में भूख है पैसे की ।।
आखिर क्यों इंसान इंसानियत से फिसल गए।
कुछ घनिष्ट रिश्ते आज चटक से गए।।
आज लालच की नींव पर इमारत है रिश्ते की।
बिना मतलब कोई पूछ नहीं, भगवान व फरिश्ते की।।
मनोकामना पूर्ण करो फिर इष्ट को क्या क्या होगा।
कन्या भोजन, हवन चढ़ावा, भेंट में घंटा होगा।।
आज कलयुगी भगवान भी मतलब से भर गए।
कुछ घनिष्ट रिश्ते आज चटक से गए।।
असल जिंदगी से आज भटक से गए।
कुछ घनिष्ट रिश्ते आज चटक से गए।।