असमंजस
मन में एक उलझन है,असमंजस है और द्वंद सा है।
किस किस पर यकीन करें,अब तो सोचना भी बंद सा है।।
किसी का खुदा,भगवान,ईश्वर तो किसी का निराकार सा है।
किसी का सर्वस्व ईशु तो किसी का गुरु ग्रंथ साहब सा है।।
बहम सब पाले हुऐ जबकि खुदा सबका एक सा है।
किस किस पर यकीन करें, अब तो सोचना भी बंद सा है।।
मन में एक उलझन है, असमंजस है और द्वंद सा है।
किस किस पर यकीन करें, अब तो सोचना भी बंद सा है।।
किसी ने मोछ हेतु कृष्ण को सारी जिंदगी झोंक दी।
तो किसी ने पाखंड कर भगवान पर बिज़नेस ही ठोंक दी।।
किसी को भक्ति में शक्ति मिली तो किसी की नजर में तमाशा है।।
किस किस पर यकीन करें, अब तो सोचना भी बंद सा है।।
मन में एक उलझन है, असमंजस है और द्वंद सा है।
किस किस पर यकीन करें, अब तो सोचना भी बंद सा है।।
मस्त है दुनियां मौज में बस पैसे की भूख है।
झूठ की महफिल सझी बस उसी में मसरूक है।।
न जाने मजबूरी है या इच्छा बस नजरबंद सा है।
किस किस पर यकीन करें, अब तो सोचना भी बंद सा है।।
मन में एक उलझन है,असमंजस है और द्वंद सा है।
किस किस पर यकीन करें,अब तो सोचना भी बंद सा है।।