वीरता हिंदी कविता/best hindi poem on veerta/best motivational poem on veerta/kavita kunji

          HindiCreative.in की कविताएँ कट पेस्ट वाली कविताएँ न होकर सच्ची /यूनीक कविताएँ होती हैं, जिन्हें समझने के लिए पाठक को थोड़ा सा अपना बहुमूल्य समय और बुद्धि दोनों खर्च करने होंगे। इसी श्रंखला में आज एक और वीर रस का भाव लिये नयी कविता



      वीर रस में कविता


परिस्थिति से मुँह मोड़, आज क्यों उदास बैठे हो। 
धिक्कार आपको, खुद को वीर शिवाजी कहते हो।। 

वीर हो तो वास्ता रखो जंग से। 
न तो पाकिस्तान जाओ, भारत में क्यों रहते हो।। 

बुजदिलों की जगह कहाँ मेरे हिन्दुस्तान में। 
जीना है तो जिओ शान से, न तो हिन्दुस्तानी क्यों कहते हो।। 

गर्व की बात है पैदा होना हिन्दुस्तान में। 
यह देश है श्री राम का जिस देश में तुम रहते हो।। 

यहाँ मर्द नहीं नारियों ने भी, जौहर कर दिखाए। 
जिन्हें पद्मिनी, दुर्गावती और झाँसी की रानी कहते हो।। 

हर वक्त हर दफा है प्रथम स्थान देश का। 
इस लक्ष्य के साथ जीता है जो, तुम उसे वीर सैनिक कहते हो। 

अपनी जान की न परवाह इसे न मोह परिवार से। 
जान देता  है जिसके लिए, तुम उसे तिरंगा कहते हो।। 


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