सब्र - Sabr Patience - kavita kunji



सब्र

सब्र कर बंदे ये दिन भी गुजर जायेंगे। 

 हंसी करने वालों के चेहरे उतर जायेंगे।। 


यूं दिल को दुखा मत उनकी वजह से।

आखिर तुझे छोड़ वो किधर जायेंगे।।

हंसी करने वालों के चेहरे उतर जाएंगे। सब्र कर बंदे…….  


कब तक जुल्म ऐसे ढाते रहेंगे।

किस हद तक बेरहम सताते रहेंगे।।

तू शिकायत उनकी मत कर किसी से 

वे खुद व खुद जालिम सुधर जाएंगे।।

हंसी करने वालों के चेहरे उतर जाएंगे। सब्र कर बंदे……. 


तू अकेला ज़माने से क्या लड़ सकेगा।

जो तेरे अपने है उनका तू क्या कर सकेगा।।

ज़ख्म देकर भले बनना, है काम उनका।

मगर ये शख्स खुद व खुद सुधर जायेंगे।।

हंसी करने वालों के चेहरे उतर जाएंगे। सब्र कर बंदे…….

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