क्या गलत ।। Kya galat
दवा ग़लत बड़े बीमारी।
वाहन ग़लत रोए सवारी।।
संगत ग़लत बिगड़े ब्रह्मचारी।
विचार ग़लत बदनाम संसारी।।
गुरू ग़लत जीवन की ख्वारी।
पति ग़लत दुखी हो नारी।।
प्रेमी ग़लत दुखी प्रेम प्यारी।
अधीनस्थ ग़लत दुखी अधिकारी।।
सरकार ग़लत दुखी जनता सारी।
परीक्षा ग़लत असफल तैयारी।।
संतान ग़लत पिता दुखारी।
राह ग़लत बिगड़े दुनियादारी।।
नमक ग़लत बेस्वाद तरकारी।
मालिक ग़लत परिवार की ख्वारी।।
जीवन दुखमय अगर भ्रष्ट है नारी।
आचार ग़लत रुष्ट त्रिपुरारी।।
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Social Poem