हर गुनाह की दुनियां में सजा नहीं होती।
कमबख्त इस बहम की भी कोई दवा नहीं होती।।
आखिर क्या दवा दोगे किसी को गलतफहमी की।
गुनाह जो पहले कर बैठे, जो विश्वास में कमी की।।
उन्हें हर बोल मे मेरे, झूठ हर दफा नज़र आया ।
आंखे बुखार से लाल थी, मगर उन्हें तो नशा नजर आया।।
अब तो विज्ञान कोई ऐसा यंत्र बना दे ।
जो गलतफहमी की जांच कर, उसकी सत्यता बता दे।।
भगवान तक न बच सके, तो यह कैसे छोड़े इंसान को।
सीता को घर से निकाला, गलतफहमी हुई श्रीराम को।।
आज आत्महत्या के कारणों में गलतफहमी भी खास है।
मात्र एक दवा है इसकी, वह दोस्तो सिर्फ विश्वास है।।
वह दोस्तो सिर्फ विश्वास है, वह दोस्तो सिर्फ विश्वास है..
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