दोस्ती हिंदी कविता / best hindi poem in friendship/dosti hindi kavita

       

 


दोस्ती क्या है

(दोस्ती की व्यथा – दोस्ती की जुबानी)

सही मायने में मुझे आज तक समझा ना कोई। 
कभी हवस की शिकार हुई, तो कभी पैसों से खुश कर गया कोई।।
 
लोग दोस्ती का नाम देकर, मतलब निभाते हैं आज।
मेरे वास्ते का फायदा उठा कर, माँ बहन को पटाते हैं आज।। 
 
इस कदर मेरे ईमान की धज्जियाँ उड़ाते हैं आज। 
कोई भी इंसानियत का करता नहीं तनिक लिहाज़।।
 
क्या करूँ मैं स्वयं ही, अपनी विवशता पर चुपचाप रोई। 
 कभी हवस की शिकार हुई, तो कभी पैसों से खुश कर गया कोई।।
 
कभी किसी जमाने में दोस्ती का, कुछ अलग ही मंजर था। 
मज़ाल किसी की आंख उठादे कोई, हाथ में खंजर था।। 
 
लोगों के एक नहीं अनेक सच्चे दोस्त होते थे। 
साथ खाना पीना आत्मा एक, जिस्म दो होते थे।। 
 
मगर आज तरस गयी सच्चे दोस्त के लिए, रहती हूँ खोई खोई। 
कभी हवस की शिकार हुई, तो कभी पैसों से खुश कर गया कोई।।

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