zakhmi dil/zakhmi dil shayari/hindi poem jakhmi dil

zakhmi dil shayari
bewafa zakhmi dil

       जख्मी दिल

ज़ख्म देकर दिल का, मुझे पूछते हैं ऐसे।

तुम लगते थे शातिर, मगर भोले नजर आए।।

सोचा न था तुम ऐसे मिलोगे।

शरारत कम, ज्यादा शरमाते नजर आए ।।

दिल की नाज़ुकी का हमें क्या पता था।

महज़ मेरे हसने से, तुम घायल नजर आए।।

तुम मोहब्बत का किसी को क्या सिला दोगे।

तुम आशिक कम, ज्यादा मरीज़ नजर आए।।

जब कि सच्चाई कुछ और थी, खास नहीं था दोष मेरे दिल का।

दिल ने टूटना लाज़मी समझा उसे बिना अपनाए।।

है आज ग़म तो सिर्फ इस बात का।

जिसे हमने समझा अपना, वे सब पराये नजर आए।। 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने