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पैरा जम्प - एक अदभुत कविता
जम्प लगाई जहाज से, मेरी हक्की बक्की बंद।
आंख खुली की खुली रह गयी, साँस हो गयी बंद।।
साँस हो गयी बंद, चला नीचे तेजी से।
क्यों मार रहा भगवान, हाय तू बेरहमी से ।।
इतना ही कहना हुआ, तभी लगी एक झटकी सी।
छतरी माता खुल गयी, और फूल गयी मटकी सी।।
फूल गयी मटकी सी, हवा में उड़ने लागा।
सन्नाटा छाया हुआ, नहीं लग रहा कोई जागा।।
मैं तो अब इस आसमाँ में, भरता रहूं उड़ान।
मेरे आगे कुछ भी नहीं है, सन्नी शाहरुख़ खान।।
सन्नी शाहरुख खान, बड़ा कुछ दिल मेरे अभिमान।
तदुपरान्त नीचे को मेरा, गया अचानक ध्यान।।
गया अचानक ध्यान, ज़मीन ऊपर को आए।
कैसे लैंड करूँ भगवान, हाय सिर्फ तू ही बचाए।।
तभी हुई अचानक धम्म, गिरा मैं सीट के ऊपर।
फुर्ती से ”यादव” खड़ा हुआ, मैं बन गया पैराट्रुपर।।