तन्हाई हिंदी कविता/tanhai hindi poem/हमसफ़र हिंदी कविता/hindi poem on Humsafar/hamsafar hindi kavita

  


tanhai humsafar – ‘तन्हाई हमसफ़र’ कविता के माध्यम से कवि ने एक सैनिक  पत्नी की भावनाओं को बहुत ही मार्मिक ढ़ंग से प्रकट करने की कोशिश की है। 


जहां तड़पता है जिस्म बर्फ पर तन्हा।

वहां सफर करते है मेरे हमसफ़र तन्हा।।


नींद वालों को क्या खबर इसकी।

कि कौन जगता है रातभर तन्हा ।। 


लोग सोते हैं बेफिक्र बंद कमरों में।

मगर वे जगते हैं फिक्र में दर बदर तन्हा।।


साथ देता है कौन मंज़िल तक उन्हें।

हवा भी तड़पाती है उन्हें रहगुज़र तन्हा।।


शहर का शहर बुझता जाता है।

मगर देश के प्रहरी घूमते, होकर बेघर तन्हा।।


ऐ गमे जिंदगी, तुझे ग़म में भी है खुशी। 

मैं ढूंढने निकली आज उन्हें दर बदर तन्हा।।


वे हँसते थे अहले दिल पे कभी। 

बीते लम्हों की याद में, काटती यह मदहूस दिन तन्हा।।


लिखेे थे पत्र में उन्होंने हालत सरहद के।

लौटकर आयेंगे दिलवर न रहना फिक्र में तन्हा।।  

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