माँ बेटी की कविता
माँ आखिर क्यों लोग भेदभाव मानते हैं।
बेटों की चाह में बेटियों को मारते हैं।।
बेटों की चाह में बेटियों को मारते हैं।।
माँ! कैसे महान हैं? बेटे, बेटियों से।
मैं तो प्रथम हूँ कक्षा में, अपने सहपाठियों से।।
माँ बेटियाँ भी तो जहाज उड़ाती हैं।
राष्ट्रपति बनती हैं, फिल्म बनाती हैं।।
माँ आप और मेरी मेम भी तो किसी की बेटी हैं।
माँ सच में गुनाहगार हम सब बेटी हैं।।
अगर हम सब खुद सम्मान करें अपने आप का।
इतिहास बदल कर रख दें, नाम रोशन करें माँ बाप का।।