क्या सीखे तुम, क्या कुछ भूले, इस ऑनलाइन की शिक्षा से ।
बच्चों की तत्परता देखो, खुद जल्दी पढ़ते इच्छा से।।
मोबाइल की ऐसी लगन लगी है, कुछ पढ़ते कुछ टरकाते हैं।
शुरुआत तो अच्छी करते, फिर पबजी में घुस जाते हैं।।
याददाश्त की नहीं जरूरत, गूगल बाबा जिंदाबाद।
युगों पुरानी घटनाएं, समय के साथ दिखाता आज।।
कुछ नहीं छुपा है अब इससे, हर तरह का यह भंडारण है।
छात्रों की स्रजन क्षमता का, यह मुख्य पतन का कारण है।।
संस्कार सब गायब लगते, अनुशासन लुप्त हुआ सा है।
ऑनलाइन से जीवन में, कहीं खाई कहीं कुआ सा है।।
नहीं जरूरत प्राइमरी तक, ऑनलाइन की शिक्षा की।
खेल में बच्चे को समझाओ, मानसिकता समझो बच्चा की।।
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Poem for Kids