जनलोकपाल ।। Janlokpal
सत्ता और जनतंत्र में बस एक अदा पाई गयी।
रामलीला मैदान में बारह दिन सच की खाल खिंचवायी गयी।।
सत्ता में बैठे सियासती रसिया लोग हँसते रहे।
थोथले मुँह फालतू संसद में बकते रहे।।
किसी ने अन्ना पर तो किसी ने टीम पर निशाना साधा।
‘बी जे पी’ दूल्हा की मौसी बन उठा रही थी फायदा।।
अंततः सरकार घुटने टेक सामने आयी।
अग्निवेश जी महाराज ने दोहरी भूमिका निभायी।।
अन्ना के हर वायदे पर सरकार हाँ भरती गयी।
खिलाफ जनता के वास्ते एक नयी चाल चलती गयी।
चंद लम्हों बाद उस पर धुंध सी छाने लगी।
जनलोकपाल के तीन बिंदुओं पर खोर खाने लगी।।
सोनिया जी फोन पर मनमोहन को समझाने लगी।
अन्ना की खिदमतगीरी वाकी को फ़साने लगी।।
अन्ना काबिलेतारीफ बेफ़िक्र सीढ़ियां चढ़ता गया।
अहिंसा की राह पर बंदेमातरम कहता गया।।
बारह दिन भूखा रहा तीक्ष्ण तपती धूप में।
आज देश नमन करता उसे गाँधी के रूप में।।