बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ/beti bachao beti padhao/best poem for sociol awareness/girls education

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटों को तुम दिन कहते हो, बेटी की तुलना रात क्यों है ।
मेरा बेटी होना गुनाह बताएँ, न तो पक्षपात क्यों है ।।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, यह मात्र स्लोगन जैसा है ।
बेटी का जिम्मा गृह कार्य, बेटों का बिजनेस में हिस्सा हैै।।

बेटे की मित्रमंडली अच्छी, तो बेटा स्वभाव से अच्छा हैै।
बेटी गर फोन पर बात करे, तो चरित्रहीन का ठप्पा है।।

मन में बेईमानी सी है, न तो दोहरा मापदंड क्यों हैै।
हर जगह बेटियाँ हैं आगे, फिर बेटी घर में बंद क्यों है।।

विकास समाज का चाहते हो, तो सपने में उन्हें उड़ने दो।
लक्ष्मण रेखा मत खींचो, अब काली भी उसे बनने दो।।

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