मैं सैनिक हूँ, फर्ज सैनिक का क्या भुला सकता हूँ?
किसी को क्या पता मैं देश की खातिर, किस हद तक जा सकता हूँ।।
भुलाता हूँ तो सिर्फ़ मैं अपने बुढ़े माँ-बाप, पत्नी, दोस्त और बच्चे।
और वो यादें जो लौटते वक़्त, मेरी बेटी ने रोकर कहा पापा जी नमस्ते।।
गजब देशभक्ति परिवार भुला के आ गए ।
अजीब विडंबना अगले, अवकाश पर बेटी ने कहा, मम्मा ! अंकल जी आ गए।।
क्या खूब दिल में यादों की हलचल, और दुश्मन के प्रति कोहराम होता है।
मैं जागता हूं रातभर तो क्या, मेरा देश तो सोता है।।
हमारी जान हाजिर आपके लिए, सिर्फ आपसे उम्मीद का इक सहारा है।
मिलें जिंदा या कफन में, बस गर्व से कहना कि मेरा फौजी भाई आ रहा है।।
जय हिंद