mangalsutra ll मंगलसूत्र

मंगलसूत्र

एक नारी ने पति से फरमाया,

वायदा करके क्यों नहीं नया मंगलसूत्र बनवाया।

तुम कितने झूठे इंसान हो,

झूठ बोलते हो कि तुम मेरी जान हो।।

कसम से मुझे तुमसे नफरत हो गयी है,

तुमसे तो लाख अच्छा पड़ोसिन राधा का पति सही है।

जिसने राधा को राधा समझ अर्चना की है,

इस बारे में राधा ने मुझे स्वम सूचना दी है।।

और एक तुम हद ही कर डाली,

नफरत की ज्वाला में संपूर्ण जला डाली ।

आखिर तुम कैसे इंसान हो धूर्त,

क्या बिल्कुल बेशर्म हो क्यों नहीं बनबाते नया मंगलसूत्र।।

तुम क्या सोचते हो छूट जाओगे,

आखिर त्रिया चरित्र से कहाँ निकल पाओगे।

पति की बातें सुनकर दंग रह गया पति,

इसने तो आज सब्र की हद ही कर दी ।।

आज मंगलसूत्र पुराना हुआ तो उसे बदलवाएगी,

कल मेरे लिए बहुत बड़ी मुसीबत आएगी।

सायद एक दिन हम उनके लिए पुराने हो जाएंगे,

मंगलसूत्र की तरह हम भी बदल दिए जाएंगे।।

आज रिश्ता तब तक अटूट है,

जब तक पति पत्नियों के इशारे पर नाच रहे हैं।

वरना वैबाहिक जीवन आज खासकर चटक रहे हैं।।

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