झूठे रिश्ते कविता
जिंदगी में भाग दौड़ इतनी, आखिर मंजिल का भी कर पता।
जिनके लिए तू मर मिट रहा, वे ही फूंकेंगे चिता।।
कुछ अपने लिए भी वक्त रख और याद कर असली पता।
साथ कुछ न जायेगा, फिर क्यों रहा तू छटपटा।।
सब मतलब से घनिष्ठ रिश्ता निभा रहे ।
तू जान है उनकी वे ऐसा जता रहे । ।
कभी उनको नजर अंदाज कर, फिर देख तेवर उनके।
धरती फट जायेगी, ऐसे ताने सुनोगे उनके।।
यह दुनियां रंगमंच है डोंगी कलाकार हैं।
हकीकत पर पर्दा डालकर, देते साक्षात्कार हैं।।
रख सत्य को अंधेरे में, झूठ का प्रकाश है।
छल कपट फरेब धोखा, यह सब तेरे पास है।।
आखिर किसका मद है, जाना अकेला है।
क्यों भ्रम में भूला है, यह मायामय झमेला है।।
क्या साथ जाना है, समय रहते जान ले।
झूठ को कर किनारे, सत्य को पहिचान ले।।
सब नौटंकीबाज हैं, झूठे नाते रिश्ते छोड़ दे।
"धर्मेंद्र" धर्म के साथ रह कर, सत कर्म पर जोर दे।।