Yuddh ।। Pahalgam terror attack।। Passionate cum emotional poem


युद्ध।। Yuddh 

Passionate cum emotional poem on Pahalgam terror attack


अमावस की काली रात होगी, दूर तक होगा अंधेरा। 
गर्जना होगी भयंकर, आसमां का फट रहा होगा कलेजा।।

पड़ोसी कब तक साथ देगा,तेरे पाप कर्मों की झड़ी लगी है।
धन्य है वसुंधरा! इसके पैरों तले से,अब भी तू खिसकी नहीं है।। 

ऐ दुष्ट! दुश्मन, अब तू जान ले बस।

सौ गालियों के बाद कृष्ण को बोलना पड़ा बस।।

हकीकत को छुपा कर, क्यों जी रहा अभिमान में।
तूने मजबूर किया हमें, आने को युद्ध के मैदान में।।

अंत होगा भयंकर इतना जान ले बस।
परिणाम युद्ध का है पता हार मान ले बस।। 

मौतों का अंबार होगा, हद हो चली है अति की।
इतिहास साक्षी युद्ध में, जीत हुई है सत्य की।।

खून की दरिया बहेगी, तेरे आतंकिस्तान में। 
तूने मजबूर किया हमें, आने को युद्ध के मैदान में।

मानता हूं, आज तू अकेला पड़ चुका है।
अभिमान भी तो तेरा, हद से ज्यादा बढ़ चुका है।।

खिसियानी बिल्ली, अपना ही मुंह नोंचती।
हर बार मार खाता, तेरे चीन आंसू पोंछती।।

वक्त है घुटने टेक दे,  मत मर मिट झूठी शान में।
तूने मजबूर किया हमें, आने को युद्ध के मैदान में।।

जो दे रहे तुझे हौसला, तेरी बरबादी की ताक में।
क्यों मिलाना चाहता है, तू अपने अस्तित्व को खाक में।।

आकाओं का बचना मुश्किल, शपथ हिंदुस्तान की।
या तो इनकी नींव हिलेगी, या बाजी लगेगी जान की।।

भारत है आक्रोश में, तेरी नीचता देख पहलगाम में। 
तूने मजबूर किया हमें, आने को युद्ध के मैदान में।

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