जोरू का गुलाम/joru ka gulam Hindi kavita/ best hindi poem





जोरू का गुलाम


एक दिन एक बच्चा गुस्सा होकर बोला,
पापा हम लोगों के बहुत ताने सहते हैं।


आज आपको बताना होगा,
जोरू का गुलाम किसे कहते हैं?


जोरू की ही नहीं बेटा,
गुलामी जरूरी है इन तीन की।
जीवनपर्यंत गुलामी करें,
जर, जोरू और जमीन की।।


इन पर आंच न आने दें चाहे जान जाए।
इनको टच करने से पहले,
उंगली नहीं पूरा हाथ काट दिया जाए।।


ये तो इंसान की तरक्की की खान हैं।
जोरू का गुलाम बताने बाला,
खुद भी बहुत बड़ा गुलाम हैं।।


ये तो हमें तुम्हारे दादा, परदादा ने सिखाया।
दादा ने दादी की गुलामी कर यहां तक पहुंचाया।।


देखा नहीं तुमने दादा से काम बिगड़ने पर,
दादी कैसे खींचती थी।
पास बिठाकर दादा के कैसे कान ऐंठती थीं।।


बेटा नाराज न होना किसी के ताने से।
गर्व महसूस कर जोरू का गुलाम बताने से।।


जिसके जोरू होगी उसे मजा पता है गुलामी का।
जिसे नफरत है जोरू से, वे तांकते हैं दूसरों की और खाते है बेईमानी का।।

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