कृषि कानून/best poem on kisan andolan/kisan andolan aj ka/

 
                        कृषि कानून
 
कानून बनते हैं बिगड़ते हैं, जनता के कल्याण में।
यह कैसा कृषि कानून, जो स्वीकारा नहीं किसान ने।।

जबर्दस्ती थोपने की, आखिर वज़ह कैसी।
कानून किसान के हित में दो, फिर कलह कैसी।।

खुलेआम तानाशाही है, यह चौकीदारी कैसी।
अन्नदाता के हित में, यह वफादारी कैसी।।

भूलकर भी मत उकसाओ, जवान और किसान को।
ऐसे नियम कानून बनाओ, जिससे फायदा हो इंसान को।।

विपक्ष को मौका मत दो ऐसा, तिल का ताड़ बना डाले।
सरकार पे दोशारोपण करके, देश में आग लगा डाले।।

वक़्त के रहते चिंतन करके, कानून में फेरबदल कर लो।
मौका है खुश करो किसान को, वोटों से झोली भर लो।।

सोचो किसान के हित में, करो विपक्ष की मिटियामेट।
न तो फिर पछताने से होत क्या, जब चिड़ियाँ चुन गयीं खेत।।
 
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