है साथ हमेशा मां तेरी
सुगम सोच कर सत्य कर्म,
परिणाम में हो सकती देरी।
मत बहक किसी के कहने पर,
है साथ हमेशा मां तेरी।।
तू समझ चुका बेहतर बच्चे,
इंसान के मन होते कच्चे।
ये रंग बदलते रंग देख,
तू सदैव मन के भाव रख सच्चे।।
मन में निहित दुख सुख है,
भ्रमजाल और हेरा फेरी।
मत बहक किसी के कहने पर
है साथ हमेशा मां तेरी।।
मन की शक्ति को समझ धर्म,
मनोबल के सहारे कर नित्य कर्म।
जिंदा रख अपना स्वाभिमान,
मत रुक चढ़ सफ़लता का पायदान।।
रास्ते की भूल भुलैया से,
तू निकल चीर राह अंधेरी।
मत बहक किसी के कहने पर,
है साथ हमेशा मां तेरी।।
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ धार्मिक कविता
नवरात्रों के दिनों में पाठकों के लिए जगत जननी मां दुर्गे को समर्पित कविता।
सत्य का दावा मैंने नहीं, मेरे बुजुर्गों ने किया है।
बीहड़ में रमी मेरी माँ ने, क्या क्या नहीं किया है।।
पैसा दिया, घर दिया, अनाथों को पहिचान दी।
किसी को भाई,बहिन,भतीजा, तो किसी को संतान दी।।
जिसने दिल से माना आपको बिश्वास की नींव पर।
अविलंब माँ प्रकट हुई, आसमां को चीर कर ।।
कोई फर्क की लकीर नहीं, गरीब और अमीर में।
जो डूब गया वह तर गया, तेरी भक्ति के नीर में।।
तू अजीब शक्ति है, पूरा करती बचन बोल कर।
रोते को हँसाती है, उसके दुखों में खुशी घोल कर।।
मानव मस्तिष्क तेरा वर्णन, सहज नहीं कर सकते।
बावन अक्षर हिंदी के, तुझे कैद नहीं कर सकते।।